Wheat Crop : गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि फसल में कॉपर (तांबा) की कमी से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। कॉपर पौधों की वृद्धि और विकास में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी के कारण पौधों में प्रोटीन निर्माण बाधित हो सकता है और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। इसका सीधा असर फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ता है।
कॉपर की कमी के लक्षण
गेहूं की फसल में कॉपर की कमी होने पर कई स्पष्ट लक्षण नजर आते हैं:
- बालियों का म्यान में फंस जाना: फसल की बालियां पूरी तरह विकसित नहीं हो पातीं और म्यान में फंसी रह जाती हैं।
- सफेद नोक वाली बालियां: बालियों की नोक सफेद हो जाती है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
- पत्तियों का मुरझाना: युवा पत्तियां नोक से मुरझाने लगती हैं और मुड़ जाती हैं।
- पानी देने के बाद सूखना: पानी देने के बावजूद पौधा सूखने लगता है, जिसे किसान अक्सर अन्य कारणों से जोड़कर देखते हैं।
- शीर्षरम्भी रोग का खतरा: आगे की कलिकाएं नष्ट हो जाती हैं, जिसे “शीर्षरम्भी रोग” कहा जाता है।
कॉपर की कमी किन मिट्टियों में होती है?
कॉपर की कमी खासतौर पर उन मिट्टियों में देखी जाती है जिनमें:
- पीटयुक्त मिट्टी: यह मिट्टी ज्यादा कार्बनिक पदार्थ वाली होती है।
- रेतीली मिट्टी: इस तरह की मिट्टी में कॉपर की उपलब्धता कम होती है।
- उच्च पीएच वाली मिट्टी: पीएच 7.5 या उससे ज्यादा होने पर कॉपर पौधों को सही मात्रा में नहीं मिल पाता।
- ऑक्साइड और कार्बोनेट की अधिकता: इनकी ज्यादा मात्रा मिट्टी में कॉपर की उपलब्धता कम कर देती है।
कॉपर की कमी से बचाव के उपाय
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में किसानों को गेहूं की फसल में कॉपर की कमी से बचने के उपाय सुझाए हैं। इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसल को नुकसान से बचा सकते हैं:
- कॉपर सल्फेट का स्प्रे करें:
- 200 ग्राम कॉपर सल्फेट (नीला थोथा) को 100-125 लीटर पानी में घोलें।
- इस मिश्रण का प्रति एकड़ स्प्रे करें।
- सावधानी बरतें:
- कॉपर सल्फेट की मात्रा 200 ग्राम से अधिक न हो, अन्यथा फसल जल सकती है।
कॉपर की कमी से होने वाले नुकसान के प्रभाव
कॉपर की कमी का सीधा असर फसल के उत्पादन और उसकी गुणवत्ता पर पड़ता है। किसानों को इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि समय रहते इस कमी को दूर नहीं किया गया तो फसल उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।
मंडी रिपोर्ट: श्रीमाधोपुर मंडी में आवक
फसल से जुड़ी मंडी की जानकारी भी किसानों के लिए महत्वपूर्ण है। श्रीमाधोपुर मंडी में हाल ही में हुई आवक और भाव इस प्रकार रहे:
- बाजरा: 600 क्विंटल, भाव ₹2450-2670 प्रति क्विंटल।
- ग्वार: 400 क्विंटल, भाव ₹4725-4790 प्रति क्विंटल।
- मूंगफली: 5000 बोरी, भाव ₹4200-9300 प्रति क्विंटल।
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गेहूं की खेती में कॉपर की कमी से बचाव के लिए किसानों को समय पर उचित उपाय अपनाने चाहिए। कॉपर सल्फेट का सही मात्रा में उपयोग न केवल फसल को नुकसान से बचाएगा, बल्कि इसके उत्पादन को भी बढ़ावा देगा। साथ ही, मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की जांच समय-समय पर कराना भी फायदेमंद रहेगा।
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