बिहार सरकार ने भूमि अधिग्रहण की दरों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भूमि अधिग्रहण की दरें नए सिरे से तय की जाएंगी। बिहार सरकार ने यह कदम उन बढ़ते उद्योगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उठाया है, जो राज्य में तेजी से बढ़ रहे हैं। इस निर्णय के तहत रैयतों को सर्किल रेट से अधिक मुआवजा मिलेगा, जिससे उनके लिए यह प्रक्रिया और भी लाभकारी हो सकती है। सरकार ने औद्योगिक विकास के लिए ज़मीन का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाने के लिए यह कदम उठाया है।
इसमें कोई शक नहीं कि यह कदम बिहार के औद्योगिक क्षेत्र को एक नया मोड़ देगा। सरकार ने जो राशि तय की है, उसके आधार पर भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू होगा। इसके अलावा, उद्यमियों के लिए भूमि उपलब्ध कराने की दरें भी अलग से तय की जाएंगी।
क्यों पड़ी अतिरिक्त भूमि की जरूरत?
बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) के तहत नौ क्लस्टर और 84 औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हैं। हालांकि, इन क्षेत्रों में भूमि की उपलब्धता बहुत कम हो गई है। बियाडा के पास फिलहाल केवल 1407 एकड़ भूमि बची है, जो आवंटन के लिए उपलब्ध है। इसलिए, नई औद्योगिक इकाइयों के लिए भूमि की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने भूमि अधिग्रहण की योजना बनाई है।
वैशाली, सीतामढ़ी और चनपटिया में भूमि अधिग्रहण
बिहार के तीन प्रमुख जिलों में भूमि अधिग्रहण की योजना बनाई गई है। इनमें वैशाली, सीतामढ़ी और चनपटिया शामिल हैं। वैशाली जिले में 1243.45 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, जिसमें सरकार ने 1000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि मंजूर की है। सीतामढ़ी में 504.52 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होगा, जबकि चनपटिया में 29.30 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होगा।
इस योजना के तहत, बियाडा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को संचालित करेगा और इसे उद्योग विभाग के माध्यम से विकसित किया जाएगा। इसके बाद, भूमि की नई दरें तय की जाएंगी, जो उद्योगों की बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायक होंगी।
जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल बनाना
सरकार ने इस प्रक्रिया को और अधिक सार्वजनिक और पारदर्शी बनाने के लिए जिला स्तर पर एक समिति बनाने का निर्णय लिया है। यह समिति रेलवे और एनएच के लिए अधिग्रहीत भूमि से संबंधित विवादों को हल करेगी। इसके अलावा, भूमि के मूल्य और दरों को लेकर भी विवादों का समाधान किया जाएगा।
भूमि अधिग्रहण के लिए राशि की स्वीकृति
सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए आवश्यक राशि को स्वीकृति दी है। वैशाली, सीतामढ़ी और चनपटिया के लिए सरकार ने करोड़ों की राशि मंजूर की है, जिससे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।
न्यूनतम मूल्य निर्धारण और भूमि रेट्स
बिहार में भूमि रेट्स के न्यूनतम मूल्य का निर्धारण अभी तक 2017 में किया गया था, और अब इसे फिर से पुनः निर्धारण करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। यह कदम उन विवादों को सुलझाने के लिए उठाया गया है, जो जमीन की दरों और मूल्य निर्धारण के कारण उठ रहे थे।
बियाडा का प्रमुख कार्य
बियाडा का मुख्य उद्देश्य बिहार में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है। बियाडा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को लागू करता है और यह सुनिश्चित करता है कि भूमि का उपयोग औद्योगिक विकास के लिए किया जाए। यह संस्था औद्योगिक भूमि का आवंटन करती है और सरकार की योजनाओं के अनुसार उसे विकसित करती है।
न्यायिक प्रक्रिया और विवाद समाधान
जमीन अधिग्रहण के बाद यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है तो इसे जिला स्तर पर हल किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने एक समिति का गठन किया है, जो भूमि से जुड़े विवादों का समाधान करेगी। यह समिति सुनिश्चित करेगी कि विवादों को निष्पक्ष तरीके से सुलझाया जाए और न्यायपूर्ण निर्णय लिया जाए।
भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता की आवश्यकता
इस प्रक्रिया के दौरान सरकार ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। इससे न केवल सरकार की नीतियों पर विश्वास बढ़ेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि भूमि अधिग्रहण में किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो।
भूमि के विकास की दिशा
भूमि अधिग्रहण के बाद, इसे उद्योगों के लिए तैयार किया जाएगा। इस प्रक्रिया में भूमि का विकास किया जाएगा, और फिर नई दरों के अनुसार उसे आवंटित किया जाएगा। यह कदम औद्योगिक विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा और बिहार में नए निवेश को आकर्षित करेगा।
बिहार सरकार का यह निर्णय राज्य के औद्योगिक विकास में एक नया कदम है। इससे न केवल भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाएगा, बल्कि उद्योगों के लिए आवश्यक भूमि की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी। यह कदम न्यायपूर्ण और पारदर्शी होगा, जो न केवल बिहार के विकास में मदद करेगा, बल्कि इसके द्वारा राज्य में औद्योगिक क्षेत्र को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
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