Bumper Wheat Production In Haryana: अगर आप हरियाणा में रहते हैं और पिछले कुछ दिनों से ठंडक महसूस कर रहे हैं, तो इसकी वजह पहाड़ों पर हुई बर्फबारी है। जी हां, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुई बर्फबारी का असर अब हरियाणा के मौसम पर दिखने लगा है। शनिवार को राज्य के कई इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से 4 डिग्री कम 29.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य से 5.6 डिग्री कम 11.7 डिग्री रहा। यह गिरावट काफी अहम है क्योंकि अभी तीन दिन पहले ही तापमान 39 डिग्री के पार पहुंच गया था, लेकिन अचानक ठंडी हवाओं ने मौसम को पूरी तरह बदल दिया।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ. एमएल खीचड़ के मुताबिक, इस समय सामान्य रूप से दिन का तापमान 33-34 डिग्री और रात का तापमान 17-18 डिग्री के बीच होना चाहिए, लेकिन पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के कारण ठंडी हवाएं चल रही हैं, जिससे तापमान में अचानक गिरावट आई है। शनिवार को 10-15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं ने ठंडक को और बढ़ा दिया। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि रविवार से तापमान फिर से बढ़ना शुरू हो जाएगा और 31 मार्च तक गर्मी का असर बढ़ेगा। 2 अप्रैल के बाद रात के तापमान में भी इजाफा होगा, लेकिन फिलहाल अगले कुछ दिनों में बारिश की कोई संभावना नहीं है।
इस अचानक आई ठंडक का असर हरियाणा के किसानों पर कैसा पड़ रहा है? डॉ. खीचड़ के मुताबिक, गेहूं की फसल के लिए यह मौसम काफी अनुकूल है। ठंडी हवाओं से गेहूं के दाने भरने में मदद मिलती है, जिससे इस बार बंपर पैदावार की उम्मीद है। वहीं, सरसों की फसल भी इस मौसम से फायदा उठा रही है और अच्छी उपज की संभावना बन रही है। अगर तापमान अगले कुछ दिनों में धीरे-धीरे बढ़ता रहा, तो फसलों को कोई नुकसान नहीं होगा और किसानों को इस सीजन में अच्छी आमदनी हो सकती है।
मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक, मार्च के आखिरी हफ्ते में यह ठंडक थोड़े समय के लिए है। अप्रैल की शुरुआत से ही तापमान में लगातार बढ़ोतरी होगी और गर्मी का प्रभाव बढ़ने लगेगा। इसलिए, जो लोग इस ठंडक का मजा ले रहे हैं, उनके लिए यह सुहाना मौसम ज्यादा दिनों तक नहीं रहने वाला। अगर आपने अभी तक गर्मियों के कपड़े नहीं निकाले हैं, तो अप्रैल के पहले हफ्ते तक उन्हें तैयार रख लें, क्योंकि जल्द ही पारा 40 डिग्री के पार जा सकता है।
अगर आप हरियाणा के किसान हैं, तो मौसम के इस बदलाव का फायदा उठाएं। गेहूं की फसल को अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं है, क्योंकि ठंडक के कारण नमी बनी हुई है। हालांकि, अगर अप्रैल में तापमान तेजी से बढ़ता है, तो फसलों को हल्की सिंचाई देकर नुकसान से बचाया जा सकता है। सरसों की फसल वाले किसानों को भी मौसम पर नजर रखनी चाहिए, ताकि समय रहते कोई जरूरी कदम उठाया जा सके।
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