Meghdoot Agro, नई दिल्ली: 14 अप्रैल आते ही देश के हर कोने से एक ही आवाज़ गूंजती है—जय भीम! Celebrating Ambedkar Jayanti सिर्फ एक जन्मदिन नहीं, बल्कि उस विचारधारा का उत्सव है जिसने करोड़ों लोगों को हक और पहचान दिलाई। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें संविधान निर्माता और दलितों के मसीहा के रूप में जाना जाता है, का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। इस खास दिन को भारत में हर साल बड़े जोश और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। 2025 में भी अंबेडकर जयंती का जश्न पूरे देश में धूमधाम से होगा, खासकर उन समुदायों के बीच जिनके लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया—दलित, आदिवासी, महिलाएं और श्रमिक वर्ग।
बाबासाहेब एक ऐसे युगद्रष्टा थे जिन्होंने सिर्फ संविधान नहीं रचा, बल्कि एक सामाजिक क्रांति की नींव रखी। उन्होंने 1923 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण। उन्होंने मूकनायक और समानता जनता जैसे आंदोलनों से वंचित समुदायों को आवाज़ दी। अंबेडकर जयंती के मौके पर देशभर के सरकारी दफ्तरों, शिक्षण संस्थानों और गांव-शहरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार, और रैलियां होती हैं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा संसद भवन के पास उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है।
Celebrating Ambedkar Jayanti की खास बात ये है कि ये केवल भारत तक सीमित नहीं रही। पिछले कुछ वर्षों में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी इस दिन को मान्यता दी है। डॉ. अंबेडकर ने भारत की रिजर्व बैंक की नींव रखने में भी अहम भूमिका निभाई। वो न केवल अर्थशास्त्री थे बल्कि कानून के जानकार और दार्शनिक भी थे। उन्होंने ‘द प्रॉब्लम ऑफ द रुपी’, ‘द एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस ऑफ ईस्ट इंडिया कंपनी’, जैसे कई ग्रंथ लिखे जो आज भी अर्थव्यवस्था को समझने में मार्गदर्शन करते हैं।
2025 में Celebrating Ambedkar Jayanti को लेकर पूरे देश में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। छात्र-छात्राओं से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग तक, सभी इस दिन को अलग-अलग तरीके से मनाने की योजना बना रहे हैं। कोई सभा आयोजित करेगा, कोई कविता पाठ, तो कोई अंबेडकर के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत करेगा। इस दिन को यादगार बनाने के लिए RedBus जैसे प्लेटफॉर्म भी लोगों को अपने गृहनगर या अंबेडकर स्थलों तक पहुंचने में सहायता कर रहे हैं। बाबा साहेब के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उस दौर में थे। उन्होंने समाज को सिर्फ संविधान ही नहीं दिया, बल्कि एक सोच दी—जहां समानता, सम्मान और अधिकार सबके लिए हों।
तो इस 14 अप्रैल को आइए मिलकर Celebrating Ambedkar Jayanti को सिर्फ एक दिवस नहीं, एक प्रेरणा दिवस के रूप में मनाएं। उनके संघर्ष, त्याग और आदर्शों को अपनाएं, ताकि हम एक सशक्त, समतामूलक और न्यायप्रिय भारत का निर्माण कर सकें।