मेघदूत एग्रो, UP: उत्तर प्रदेश में अचानक बदले मौसम के मिजाज ने अन्नदाताओं की मेहनत पर पानी फेर दिया, लेकिन इस बार सरकार की प्रतिक्रिया उतनी ही तेज़ रही जितनी आंधी-ओलावृष्टि की रफ्तार। Crop Compensation in 24 hours to farmers in UP अब केवल एक वादा नहीं, बल्कि हकीकत बन चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार देर रात जैसे ही बिगड़ते मौसम और फसलों को हुए नुकसान की खबरें पाईं, तत्काल सभी जिलाधिकारियों, एसडीएम और तहसीलदारों को मौके पर जाकर रियल टाइम सर्वे और मुआवजा प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए। सीएम का स्पष्ट आदेश था कि सर्वे रिपोर्ट 24 घंटे में पोर्टल पर अपलोड हो और पात्र किसानों को क्षतिपूर्ति की राशि सीधा उनके खातों में भेजी जाए।
उन्होंने साफ चेतावनी दी कि लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने भी निर्देशों को अमलीजामा पहनाते हुए जिलाधिकारियों को सर्वे रिपोर्ट फाइनल करने की समयसीमा तय कर दी। लखीमपुर खीरी इसका बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरा, जहां तहसील गोला के ग्राम खजुहा में आग से जली फसल का मुआवजा किसानों को चंद घंटों में चेक के रूप में दे दिया गया।
जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल खुद मौके पर पहुंचीं और अन्नदाताओं से बातचीत कर उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार उनके साथ खड़ी है। कुलवीर कौर, ओपेंद्र सिंह, जशमेल सिंह को ₹50,000, सतवंत सिंह और संदीप सिंह को ₹40,000, और अन्य किसानों को ₹12,000 से ₹14,000 तक की क्षतिपूर्ति तुरंत दी गई।
मुख्यमंत्री खेत-खलिहान अग्निकांड सहायता योजना के तहत भी सुधा देवी, ब्रजराज सिंह और बाबूराम जैसे किसानों को तत्काल राहत मिली। यह दर्शाता है कि प्रदेश में आपदा प्रबंधन अब सिर्फ फॉर्मेलिटी नहीं, बल्कि ज़मीनी क्रियान्वयन का उदाहरण बन चुका है। खराब मौसम को देखते हुए प्रदेश भर में अलर्ट जारी कर दिया गया है और प्रशासन ने आम नागरिकों से अत्यावश्यक स्थिति में ही बाहर निकलने की अपील की है। मुख्यमंत्री योगी का यह कदम न केवल प्रशासनिक कुशलता का प्रतीक है, बल्कि अन्नदाता के साथ संवेदनशीलता का सटीक उदाहरण भी।
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