दिल्ली की सड़कों पर चल रहे CNG ऑटो रिक्शा और फॉसिल फ्यूल पर आधारित दोपहिया वाहनों की विदाई तय मानी जा रही है, क्योंकि दिल्ली सरकार ईवी नीति 2.0 (Electric Vehicle Policy 2.0) के तहत एक बड़ा कदम उठाने जा रही है।
Delhi Traffic को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में सरकार अब 15 अगस्त 2026 से किसी भी नए CNG ऑटो का रजिस्ट्रेशन नहीं करने जा रही है और पुराने परमिटों का नवीनीकरण केवल इलेक्ट्रिक ऑटो के लिए ही होगा।
इतना ही नहीं, दोपहिया वाहनों में भी पेट्रोल, डीज़ल और CNG से चलने वाले वाहनों पर पूरी तरह से रोक लगाने की तैयारी है। नीति के तहत 10 साल से अधिक पुराने CNG ऑटो रिक्शा को बैटरी चालित वाहन में तब्दील किया जाएगा, जिससे राजधानी में वायु प्रदूषण में भारी कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।
दिल्ली सरकार की योजना है कि 31 दिसंबर 2027 तक दिल्ली जल बोर्ड, नगर निगम और NDMC के 100% कचरा संग्रहण वाहन इलेक्ट्रिक फॉर्मेट में बदल दिए जाएं।
डीटीसी और डीआईएमटीएस की सिटी बसें केवल इलेक्ट्रिक ऑप्शन में खरीदी जाएंगी और इंटरस्टेट सेवाओं के लिए केवल BS-VI वाहन उपयोग किए जाएंगे। अधिकारियों के मुताबिक नीति का ड्राफ्ट तैयार है और जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा, जहां कुछ बदलाव संभावित हैं—विशेष रूप से दोपहिया वाहनों और निजी कारों की खरीद को लेकर।
उल्लेखनीय है कि यदि किसी व्यक्ति के पास पहले से दो कारें हैं, तभी वह नई इलेक्ट्रिक कार खरीद सकेगा। दिल्ली की मौजूदा ईवी नीति की समयसीमा 31 मार्च को खत्म हो चुकी है, लेकिन इसे 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है ताकि नई नीति प्रभावी हो सके।
दिल्ली की यह गौरतलब पर्यावरणीय पहल न सिर्फ ट्रैफिक को स्मार्ट बनाएगी बल्कि सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी मील का पत्थर साबित हो सकती है, खासकर तब जब राष्ट्रीय राजधानी वायु प्रदूषण से सालों से जूझ रही है। इससे जुड़े आधिकारिक आंकड़े और नीति के ड्राफ्ट बिंदु इस ओर इशारा करते हैं कि आने वाले समय में दिल्ली की सड़कें न केवल क्लीन बल्कि ग्रीन भी होंगी।