मेघदूत एग्रो, हरियाणा : हरियाणा सरकार ने private schools की मनमानी पर सख्त रुख अपनाते हुए अभिभावकों को राहत पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य के किसी भी प्राइवेट स्कूल को यूनिफॉर्म, किताबें, स्टेशनरी, जूते-जुराब जैसी आवश्यक वस्तुएं किसी खास दुकान से खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर करने की इजाजत नहीं होगी।
साथ ही, स्कूल अब कम से कम पांच साल तक यूनिफॉर्म में बदलाव नहीं कर सकेंगे, जिससे हर साल ड्रेस बदलने की झंझट और आर्थिक बोझ से अभिभावक बच सकें। शिक्षा निदेशालय ने इस बाबत एक आधिकारिक गाइडलाइन जारी करते हुए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इन नियमों को पूरी सख्ती से लागू किया जाए और किसी भी स्कूल द्वारा उल्लंघन की स्थिति में तत्काल जांच और कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
इस नई गाइडलाइन के अनुसार, यदि कोई स्कूल इन नियमों की अनदेखी करता पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारी पर भी कार्रवाई की जाएगी, जो इन मामलों में लापरवाही बरतते हैं। इसके लिए शिक्षा निदेशालय ने शिकायत के लिए एक हेल्पलाइन नंबर (0172-5049801) और ईमेल आईडी (dseps13@gmail.com) भी जारी की है, जहां सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक शिकायतें दर्ज करवाई जा सकती हैं। यह कदम न केवल पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा, बल्कि अभिभावकों को होने वाले आर्थिक शोषण पर भी प्रभावी अंकुश लगाएगा।
Private schools regulation को लेकर यह पहल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कई बार स्कूल प्रशासन अभिभावकों पर किसी विशेष विक्रेता से महंगी किताबें या यूनिफॉर्म खरीदने का दबाव डालता रहा है, जिससे पारिवारिक बजट पर अतिरिक्त भार पड़ता है। अब अभिभावकों को यह अधिकार मिलेगा कि वे मनचाही दुकान से सामग्री खरीद सकें, बशर्ते वह स्कूल द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप हो।
यह फैसला छात्रों के हित में एक अहम कदम माना जा रहा है, जो शिक्षा को केवल एक व्यवसाय नहीं बल्कि सेवा बनाए रखने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।