Traditional Farming: सरकार ने प्राचीन खेती (Traditional Farming) को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल शुरू की है। इसके तहत बैलों से खेतों की जुताई कराकर कृषि कार्य को प्रोत्साहित किया जाएगा। आधुनिक समय में ट्रैक्टर और कृषि यंत्रों (Modern Agricultural Equipment) के बढ़ते उपयोग के कारण बैलों का उपयोग लगभग खत्म हो गया है। लेकिन यह योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
किसानों को मिलेगी 30 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि
इस योजना के तहत बैलों से खेती करने वाले किसानों को सालाना 30 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह योजना न केवल बैलों के संरक्षण (Conservation of Oxen) में मदद करेगी, बल्कि छोटे किसानों को आर्थिक सहायता भी प्रदान करेगी। साथ ही, इससे जैविक खेती (Organic Farming) को भी बढ़ावा मिलेगा।
बैलों का संरक्षण होगा
करीब डेढ़ दशक पहले तक अधिकतर खेतों में जुताई के लिए बैलों का उपयोग होता था। लेकिन ट्रैक्टरों के बढ़ते उपयोग से बैलों का उपयोग कम हो गया है। अब सरकार फिर से बैलों को खेतों में उतारने का प्रयास कर रही है। इससे न केवल किसानों को लागत कम आएगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ेगी।
निराश्रित बछड़ों को मिलेगा संरक्षण
अक्सर छोटे बछड़ों को किसान अनुपयोगी समझकर निराश्रित छोड़ देते हैं। इस योजना से अब ऐसे बछड़े बैल बनकर किसानों के लिए मददगार साबित होंगे। साथ ही, गो पालन को भी बढ़ावा मिलेगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
पहले ग्रामीण इलाकों में लगभग हर घर में बैल होते थे, लेकिन अब यह दृश्य दुर्लभ हो गया है। इस योजना से न केवल खेती की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया जाएगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
कृषि अधिकारियों का दावा
कृषि अधिकारियों का कहना है कि इस योजना से खेती के पुराने दौर की वापसी होगी और गोपालन को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण में भी यह योजना मददगार साबित होगी।
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