मेघदूत एग्रो हरियाणा (11 मार्च 2025 ) : हरियाणा में लाखों कच्चे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नियमितीकरण को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस जगमोहन बंसल की अध्यक्षता वाली पीठ ने विभिन्न नीतियों के तहत दाखिल याचिकाओं को निपटाते हुए स्पष्ट किया कि 1996 की नीति के तहत किसी भी कर्मचारी को नियमित किया जाएगा। हालांकि, 2003 और 2011 की नीतियों के तहत पात्र कर्मचारियों को नियमितीकरण 6 महीने के अंदर किया जाएगा।
कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई कर्मचारी इन नीतियों के अनुसार अयोग्य पाया जाता है, तो उसे कोर्ट में याचिका दायर करने की तारीख से बकाया सैलरी मिलेगी, लेकिन इस पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, अगर कोई कर्मचारी पहले ही सेवानिवृत्त हो चुका है, तो उसकी पेंशन और अन्य वित्तीय लाभों को पुनर्निर्धारित किया जाएगा।
2014 में नियुक्त कर्मचारियों को नहीं मिलेगा लाभ
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 2014 में नियुक्त किए गए कर्मचारियों को पूर्व की किसी भी नीति के तहत कोई लाभ नहीं मिलेगा। जो कर्मचारी 2003 और 2011 की नीति के पात्र नहीं होंगे, उन पर 2024 में लागू किए गए नए अधिनियम के तहत विचार किया जाएगा। इसके अलावा, 2014 की नीति की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतिम निर्णय आने के बाद ही ऐसे कर्मचारियों के दावों पर पुनर्विचार किया जाएगा।
फैसले से सभी याचिकाओं का हुआ निपटारा
कोर्ट ने कहा कि सरकार ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए 2011 की नीति लागू की थी, लेकिन 2014 की अधिसूचना बिना किसी ठोस आधार के जारी कर दी गई। इस फैसले के साथ सभी याचिकाएं निपटा दी गई हैं और सरकार को यह निर्देश दिया गया है कि वह योग्य कर्मचारियों के मामलों को जल्द से जल्द हल करें।
सरकार को दिए गए निर्देश
कोर्ट ने कहा कि सरकार को उन सभी कर्मचारियों की स्थिति की समीक्षा करनी होगी, जो 2014 की अधिसूचना और पहले की नीतियों के तहत नियमितीकरण के पात्र हो सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि किसी कर्मचारी को बिना कारण उसके अधिकार से वंचित न किया जाए।
नीतियों में पात्रता रखने वाले होंगे परमानेंट
इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पालन करते हुए सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को पक्का किया जा सकता है, जिनकी नियुक्ति उचित प्रक्रिया के तहत हुई थी और जो पहले जारी नीतियों में पात्रता रखते हैं।