Women Temple Ban: हरियाणा का वह अनोखा मंदिर जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित: पिहोवा का कार्तिकेय मंदिर
हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से महज 20 किलोमीटर दूर पिहोवा स्थित सरस्वती तीर्थ पर एक ऐसा रहस्यमय मंदिर है जहां सदियों से महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। यह भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय (कुमार स्वामी) का मंदिर है जहां न केवल विवाहित महिलाओं, बल्कि नवजात बच्चियों तक को गोद में लेकर प्रवेश नहीं मिलता। मंदिर के मुख्य पुजारी राजतिलक गोस्वामी बताते हैं कि यह परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है और मान्यता है कि अगर कोई महिला मंदिर के गर्भगृह में स्थित पिंडी के दर्शन कर ले तो उसका सुहाग उजड़ सकता है। मंदिर परिसर में स्पष्ट रूप से बोर्ड लगे हुए हैं जो महिलाओं को अंदर झांकने तक से मना करते हैं।
क्या है पौराणिक कथा?
मंदिर के महंत के अनुसार, पौराणिक कथा है कि जब कार्तिकेय ने क्रोध में आकर अपने शरीर का मांस और रक्त अग्नि को समर्पित कर दिया था, तब भगवान शिव ने उन्हें पृथुदक तीर्थ (वर्तमान पिहोवा) पर जाने का आदेश दिया। यहां ऋषि-मुनियों ने कार्तिकेय के तप्त शरीर को शीतल करने के लिए सरसों का तेल चढ़ाया था, जिसके बाद वे इसी स्थान पर पिंडी रूप में विराजित हो गए। तभी से यहां सरसों के तेल से अभिषेक की अनूठी परंपरा चली आ रही है। मंदिर में विशेष रूप से रोशनी की व्यवस्था नहीं की गई है ताकि कोई महिला अनजाने में भी अंदर न झांक सके।
क्या है वर्तमान स्थिति?
यह देश का शायद एकमात्र मंदिर है जहां इतने सख्त नियम लागू हैं। हालांकि महिलाएं मंदिर परिसर में प्रवेश तो कर सकती हैं, लेकिन गर्भगृह के बाहर ही रुकना पड़ता है। मंदिर प्रशासन का कहना है कि यह कोई भेदभाव नहीं बल्कि सदियों पुरानी धार्मिक मान्यता है जिसे तोड़ना उचित नहीं समझा जाता। नवरात्रि के इस पावन समय में जब देशभर के मंदिरों में महिलाओं की भीड़ उमड़ती है, यह मंदिर अपनी इस अनोखी परंपरा के कारण चर्चा में बना हुआ है।
Meghdoot Agro की टीम ने जब इस मंदिर के बारे में जाना तो हमें लगा कि आपके साथ यह अनूठी जानकारी साझा करनी चाहिए। क्या आपको लगता है कि आधुनिक युग में ऐसी परंपराओं को बदलना चाहिए? कमेंट में अपनी राय जरूर दें और इस खबर को शेयर करके अधिक लोगों तक पहुंचाएं!