1. News
  2. आज का मौसम
  3. उत्तरायण-मकर संक्रांति: सूर्य की उत्तर यात्रा से दिन होंगे लंबे, जानें कैसे बदलेगा मौसम

उत्तरायण-मकर संक्रांति: सूर्य की उत्तर यात्रा से दिन होंगे लंबे, जानें कैसे बदलेगा मौसम

उत्तरायण-मकर संक्रांति: सूर्य की उत्तर यात्रा से दिन होंगे लंबे, जानें कैसे बदलेगा मौसम

मकर संक्रांति, भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे सूर्य के मकर रेखा पर पहुंचने के साथ जोड़ा जाता है। 14 जनवरी 2025 को यह खगोलीय घटना घटित हो रही है, जो न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन से सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर यात्रा शुरू करता है, जिससे उत्तरी गोलार्ध में दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं।

सूर्य की स्थिति और मकर संक्रांति का महत्व

सूर्य हर वर्ष मकर रेखा पर अपने दक्षिणतम बिंदु पर होता है। इस समय, उत्तरी गोलार्ध में ठंडक अपने चरम पर होती है। मकर संक्रांति के बाद सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप समेत उत्तरी क्षेत्रों में गर्मी धीरे-धीरे बढ़ने लगती है।

दिन और रात के संतुलन में बदलाव

मकर संक्रांति के बाद, दिन की अवधि लंबी और रातें छोटी होने लगती हैं। 20 मार्च 2025 को जब सूर्य विषुव (Equinox) पर पहुंचेगा, तब दिन और रात बराबर होंगे। इसके बाद, 21 जून तक दिन का समय उत्तरोत्तर बढ़ता रहेगा, जिसे ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं।

मौसम परिवर्तन पर सूर्य की यात्रा का प्रभाव

सूर्य की उत्तर की ओर यात्रा मौसम में बड़े बदलाव लाती है। ठंडी हवाएं धीरे-धीरे कम होती हैं, और तापमान बढ़ने लगता है। मार्च-अप्रैल के दौरान, प्री-मॉनसून गतिविधियां शुरू होती हैं, जो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवातों के रूप में दिखाई देती हैं।

इंटर ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन (ITCZ) और तूफानी गतिविधियां

ITCZ, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में चक्रवातों के निर्माण का मुख्य केंद्र है, सूर्य के साथ उत्तर की ओर बढ़ता है। यह क्षेत्र समुद्री सतह से गर्मी लेकर चक्रवातों को बढ़ावा देता है।

भारतीय महासागर और तूफानी गतिविधियां

जनवरी-फरवरी के महीनों में भारतीय महासागर में तूफानों की संभावना सबसे कम होती है। जैसे-जैसे अप्रैल-मई आते हैं, चक्रवातों की तीव्रता बढ़ने लगती है।

मकर संक्रांति और कृषि पर प्रभाव

मकर संक्रांति के बाद सूर्य की उत्तर की यात्रा का कृषि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस समय खेतों में रबी की फसलें पकने लगती हैं, और किसानों के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनने लगती हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

भारत में मकर संक्रांति को धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।

दिन की अवधि बढ़ने के लाभ

दिन की अवधि बढ़ने से न केवल प्राकृतिक गतिविधियों में वृद्धि होती है, बल्कि यह मनुष्यों और पशु-पक्षियों के लिए भी लाभकारी है। अधिक धूप से विटामिन डी का उत्पादन बढ़ता है, जो स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

जलवायु परिवर्तन और मकर संक्रांति

मौजूदा समय में जलवायु परिवर्तन मकर संक्रांति जैसे खगोलीय पर्वों को भी प्रभावित कर रहा है। मौसम चक्र में बदलाव और बढ़ते तापमान ने पारंपरिक पैटर्न को बदल दिया है।

मकर संक्रांति के बाद का भविष्य

मकर संक्रांति के बाद दिन-रात के संतुलन में बदलाव के साथ-साथ मौसम भी बदलता है। यह समय गर्मी की शुरुआत और मानसून की तैयारी का संकेत देता है।

उत्तरायण-मकर संक्रांति: सूर्य की उत्तर यात्रा से दिन होंगे लंबे, जानें कैसे बदलेगा मौसम

Comments are closed