मेघदूत एग्रो, बिहार: कल का मौसम बिहार के लिए काल बनकर आया, जब तेज आंधी, बारिश और वज्रपात ने नालंदा, भोजपुर, सिवान, गोपालगंज और बेगूसराय समेत कई जिलों में कहर बरपाया, जिसमें अब तक 32 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। भोजपुर में मां-बेटे समेत पांच लोगों की दर्दनाक मौत हुई, वहीं महुली घाट का पीपा पुल भी तेज आंधी में टूट गया, जिससे बिहार-उत्तर प्रदेश संपर्क बाधित हुआ।
सिवान, सारण और गया में वज्रपात से बच्चों और महिलाओं समेत कई जानें गईं, जबकि नालंदा के मानपुर और इस्लामपुर इलाकों में दीवार गिरने और पुलिया धंसने की घटनाओं में कई परिवार उजड़ गए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं और साथ ही लोगों से खराब मौसम में सतर्क रहने की अपील की है।
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में फिर से तेज आंधी और बारिश की चेतावनी दी है। पटना सहित कई जिलों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई है और खेतों में कट चुकी गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसान बेहाल हैं। सरकार ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है और प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से हरसंभव मदद पहुंचाई जा रही है।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में बिजली गिरने से बिहार में 1,000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, जो देश में इस कारण होने वाली कुल मौतों का 39% हिस्सा है। वर्ष 2023 में 242, जबकि 2022 में 253 लोगों की जान गई थी। ऐसे में बिहार सरकार ने ‘अर्थ नेटवर्क्स’ के सहयोग से सात जिलों में बिजली गिरने की पूर्व चेतावनी देने वाले सेंसर लगाए हैं, और आईआईटी पटना ने एक पहनने योग्य डिवाइस ‘NITISH’ विकसित किया है, जो शरीर की गर्मी से संचालित होकर आसन्न बिजली के बारे में पहले ही चेतावनी देता है।
यह टेक्नोलॉजी विशेष रूप से किसानों और ग्रामीण श्रमिकों के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकती है। कल का मौसम सिर्फ एक चेतावनी नहीं था, बल्कि एक बड़ा संकेत है कि आने वाले समय में सतर्कता और विज्ञान आधारित सुरक्षा उपाय ही जनजीवन की रक्षा कर सकते हैं। बिहार सरकार द्वारा उठाए गए कदम, जैसे आपदा प्रबंधन की तत्परता, मुआवजा नीति और पूर्व चेतावनी प्रणाली, इस दिशा में एक जरूरी पहल के रूप में देखे जा रहे हैं।
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