मेघदूत एग्रो, जयपुर: राजस्थान की धरा पर पानी की किल्लत कोई नई बात नहीं, लेकिन अब सरकार एक ऐसी ऐतिहासिक योजना को धरातल पर उतारने जा रही है, जो न सिर्फ जल संकट को दूर करेगी बल्कि हजारों किसानों की जिंदगी भी संवार देगी। इस मेगा योजना का नाम है पार्वती-कालीसिंध-चंबल ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (PKC-ERCP), जिसे लेकर सरकार पूरी गंभीरता से काम कर रही है।
बड़े अपडेट के मुताबिक, 200 किलोमीटर लंबी यह नहर पूर्वी राजस्थान की 10 से ज्यादा जिलों में जल क्रांति लेकर आएगी। यह परियोजना नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक योजना का हिस्सा है और इसका उद्देश्य सिर्फ सिंचाई ही नहीं, बल्कि भूजल स्तर को सुधारना और पीने के पानी की स्थायी व्यवस्था करना है।
इस योजना के पहले चरण में रामगढ़-महलपुर में बैराज और नवनेरा में पंप हाउस बनाया जाएगा, जिस पर करीब ₹9600 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इस नहर के लिए करीब 5046 परिवारों की भूमि का अधिग्रहण किया जाना तय है, जिसके लिए सरकार मुआवजे और पुनर्वास की योजना पर काम कर रही है।
इस नहर के माध्यम से चंबल नदी का पानी बीसलपुर और ईसरदा बांधों तक पहुंचेगा, जिससे न केवल खेती के लिए पानी मिलेगा, बल्कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पीने का पानी भी सुलभ होगा। योजना से सबसे ज़्यादा लाभ रामगढ़, महलपुर, नवनेरा, बीसलपुर और ईसरदा जैसे इलाके उठाएंगे, जहां पर बाढ़ और सूखे की दोहरी मार अक्सर पड़ती है।
हाल ही में एक प्राइवेट कंपनी द्वारा कराई गई जनसुनवाई में ग्रामीणों ने अपनी आशंकाएं जाहिर कीं, खासतौर पर मुआवजे और जमीन अधिग्रहण को लेकर, लेकिन साथ ही योजना के दूरगामी लाभों की भी सराहना की गई। अधिकारियों ने साफ किया कि यह योजना सिर्फ आज की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर होगी।
विशेषज्ञों की मानें तो यह योजना राजस्थान में जल संरक्षण, सिंचाई सुविधा, और खेती-किसानी की आय को दोगुना करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। ऐसे में यह परियोजना न सिर्फ राजस्थान के लिए, बल्कि पूरे देश के जल प्रबंधन मॉडल के लिए एक उदाहरण बन सकती है।