Sweet Sorghum (मीठी ज्वार) एक क्रांतिकारी फसल है, जो बायोफ्यूल (biofuel), चारा और चीनी उत्पादन के लिए अनूठे विकल्पों में से एक है। यह फसल गन्ने की तुलना में कम पानी, कम उर्वरक और कम देखरेख में भी अच्छी पैदावार देती है। भारत में इसकी खेती धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि यह उष्णकटिबंधीय (tropical) जलवायु में भी बेहतर उत्पादन देती है।
मीठी ज्वार (Sweet Sorghum) की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी और कम लागत इसे किसानों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाते हैं। इसके डंठल में 10-15 प्रतिशत शर्करा पाई जाती है, जिससे 4500 लीटर प्रति हेक्टेयर तक एथेनॉल (Ethanol) का उत्पादन किया जा सकता है। यही कारण है कि यह फसल गन्ने के विकल्प के रूप में उभर रही है।
मीठी ज्वार का महत्व और फायदे
मीठी ज्वार को बहुउपयोगी फसल कहा जा सकता है। यह न केवल बायोफ्यूल के लिए बल्कि चारे और अन्य औद्योगिक उपयोगों के लिए भी आदर्श है।
मीठी ज्वार के प्रमुख फायदे:
फायदे | विवरण |
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उच्च बायोमास उत्पादन | 45-80 टन प्रति हेक्टेयर तक बायोमास उत्पादन, विपरीत परिस्थितियों में भी। |
कम पानी की जरूरत | गन्ने की तुलना में बहुत कम पानी और संसाधनों की आवश्यकता। |
ऊर्जा उत्पादन | 4500 लीटर/हेक्टेयर तक एथेनॉल का उत्पादन। |
सालभर उगाने की क्षमता | तापमान-असंवेदनशीलता के कारण सालभर उगाई जा सकती है। |
चारे का विकल्प | पशुओं के लिए चारे के रूप में उपयोगी। |
मीठी ज्वार की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी
मीठी ज्वार की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है। इसके लिए निम्न जलवायु और मिट्टी आवश्यक हैं:
मापदंड | विवरण |
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जलवायु | 27-35°C तापमान, 550-750 मिमी वार्षिक वर्षा। |
मिट्टी | गहरी काली मिट्टी (वर्टिसोल) या गहरी-लाल-दोमट मिट्टी। |
जल निकासी | अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में बेहतर उत्पादन। |
उर्वरक प्रबंधन | 80 किग्रा नत्रजन, 40 किग्रा फास्फोरस, 40 किग्रा पोटाश। |
मीठी ज्वार की उन्नत किस्में
मीठी ज्वार की उन्नत किस्में उच्च उत्पादन और चीनी की अधिक मात्रा के लिए विकसित की गई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में हैं:
किस्म | विशेषताएँ |
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एसएसवी 96 | उच्च चीनी उपज और बायोमास उत्पादन। |
जीएसएसवी 148 | गन्ने की तुलना में बेहतर शराब (एथेनॉल) उत्पादन। |
एचईएस 4 | रस निष्कर्षण और चारे के लिए उपयुक्त। |
एनएसएस 104 | रबी सीजन में भी उगाई जा सकती है। |
खेती के अन्य महत्वपूर्ण पहलू
बुवाई का समय और बीज दर
मीठी ज्वार की बुवाई मानसून के शुरू होते ही करनी चाहिए। जून के दूसरे सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक बुवाई का सही समय है।
- बीज दर: 8 किग्रा/हेक्टेयर।
- फसल की दूरी: पंक्ति से पंक्ति 60 सेमी और पौधे से पौधे 15 सेमी।
सिंचाई प्रबंधन
- 550-750 मिमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त हैं।
- सूखे की स्थिति में 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
- जल जमाव से बचने के लिए खेत में अतिरिक्त पानी निकाल दें।
मीठी ज्वार के उपयोग
मीठी ज्वार का उपयोग बायोफ्यूल, चारे, चीनी और जैविक खाद के उत्पादन में होता है।
अन्य उत्पाद और उपयोग
- बायोफ्यूल: मीठे ज्वार से उत्पादित एथेनॉल पर्यावरण-अनुकूल ईंधन है।
- चारा: पशुओं के लिए उच्च पोषक चारे का विकल्प।
- जैविक खाद: फसल के अवशेषों से जैविक खाद तैयार की जा सकती है।
मीठी ज्वार: किसानों के लिए भविष्य की फसल
मीठी ज्वार कम लागत, अधिक उत्पादन और बहुउपयोगी फायदे के कारण किसानों के लिए एक संभावनाशील फसल है। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मददगार है, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षण प्रदान करती है।
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