अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा Trump Tariff Ban For 90 Days की घोषणा करते ही वैश्विक शेयर बाजारों में भूचाल जैसा उछाल देखने को मिला है। ट्रंप ने चीन सहित कई देशों पर लगने वाले टैरिफ को अस्थायी रूप से 90 दिनों के लिए टालने का फैसला किया, जिसके बाद अमेरिकी शेयर बाजार में ऐतिहासिक तेजी दर्ज की गई।
एसएंडपी 500 में 9.5% और नैस्डैक में 12.2% की छलांग 2001 के बाद की सबसे बड़ी बढ़त मानी जा रही है, वहीं डॉऊ जोंस 7.87% यानी 2,962 अंकों की बंपर बढ़त के साथ 40,608 पर बंद हुआ।
वैश्विक स्तर पर यह फैसला राहत की सांस लेकर आया है, लेकिन बाजार के जानकार अब भी संशय में हैं कि 90 दिनों बाद क्या स्थिति बनेगी। डॉयचे बैंक ने चेताया है कि ट्रंप की टैरिफ नीति में बार-बार बदलाव से निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
बॉस्टन की वेल्थ एक्सपर्ट गीना बोल्विन का कहना है कि “यह वो मोड़ है जिसका सभी इंतजार कर रहे थे, लेकिन 90 दिन बाद की अनिश्चितता अब भी चिंता का विषय है।” इस बीच, डॉलर येन और स्विस फ्रैंक के मुकाबले 1% तक मजबूत हुआ है, जबकि 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड का यील्ड 4.328% तक पहुंच गया।
घरेलू मोर्चे पर इसका असर आज भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल सकता है, जहां सेंसेक्स और निफ्टी सकारात्मक रुख के साथ खुल सकते हैं।
यूरोपीय बाजारों में STOXX 600 में गिरावट के बाद ट्रंप के बयान ने अमेरिकी बाजारों को मजबूती दी, जबकि तेल की कीमतों में भी उछाल देखा गया—ब्रेंट क्रूड 4.23% बढ़कर $65.48 और WTI 4.65% बढ़कर $62.35 प्रति बैरल तक पहुंचा।
बाजार की नजर अब जेपी मॉर्गन समेत प्रमुख बैंकों के नतीजों पर है, जिससे अमेरिका की कॉरपोरेट हेल्थ का अंदाजा लगेगा। कुल मिलाकर, यह 90 दिन की मोहलत फिलहाल एक “फाइनेंशियल बूस्टर” साबित हो रही है, लेकिन इसकी स्थायित्वता को लेकर अभी भी सवाल खड़े हैं।