Vikat Sankashti Chaturthi : 16 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी पर बन रहा दुर्लभ मैत्रेय योग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vikat Sankashti Chaturthi

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, खासकर जब यह तिथि भगवान गणेश से जुड़ी हो। विकट संकष्टी चतुर्थी एक ऐसा ही पावन अवसर है जो इस बार 16 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। यह तिथि भगवान गणेश की विशेष कृपा पाने का सुनहरा मौका देती है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार विकट संकष्टी पर दुर्लभ मैत्रेय योग बन रहा है, जो साधकों के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है। इसके साथ ही अमृत सिद्धि योग और शिववास योग भी बन रहे हैं, जो इस दिन की महत्ता को और बढ़ा देते हैं।

क्या है विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व?

विकट संकष्टी चतुर्थी हर महीने आने वाली संकष्टी चतुर्थी का ही एक विशेष रूप है। यह तिथि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में पड़ती है और मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को करने से धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। विशेषकर जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, उनके लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है।

कब है विकट संकष्टी चतुर्थी 2025?

पंचांग के अनुसार, इस साल 16 अप्रैल 2025 को विकट संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। चतुर्थी तिथि दोपहर 01:16 बजे से शुरू होकर 17 अप्रैल को 03:23 बजे तक रहेगी। हालांकि, व्रत और पूजा का समय 16 अप्रैल को ही मान्य होगा। चूंकि यह चंद्रमा के उदय के बाद पड़ रही है, इसलिए इसे संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

दुर्लभ मैत्रेय योग और अन्य शुभ संयोग

इस बार विकट संकष्टी चतुर्थी पर मैत्रेय योग बन रहा है, जो कई वर्षों बाद बनता है। यह योग 16 अप्रैल को रात 08:50 बजे से 11:09 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, अमृत सिद्धि योग और शिववास योग भी इस दिन बन रहे हैं, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इन योगों में भगवान गणेश की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त (04:26 से 05:10 बजे) में उठकर स्नान करें।
  • लाल या पीले वस्त्र धारण करके भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • गणेश जी को मोदक, दूर्वा घास और लड्डू का भोग लगाएं।
  • “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें।
  • शाम को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।

शुभ मुहूर्त और पंचांग

समय विवरण
सूर्योदय सुबह 05:55 बजे
सूर्यास्त शाम 06:48 बजे
चंद्रोदय रात 10:00 बजे
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:26 से 05:10 बजे
विजय मुहूर्त दोपहर 02:30 से 03:21 बजे

इस दिन दान-पुण्य करने से विशेष लाभ मिलता है। गरीबों को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा देने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।

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