हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आगामी मानसून में राज्य में जलभराव को रोकने के लिए कमर कस ली है। उन्होंने सभी उपायुक्तों को अपने-अपने क्षेत्रों में नालों की सफाई और नहरों की डिसिल्टिंग सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश दिए हैं। 15 मार्च को हरियाणा राज्य सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की 56वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने बाढ़ नियंत्रण के लिए जारी परियोजनाओं की निरंतर समीक्षा करने और उन्हें समयबद्ध तरीके से पूरा करने का आदेश दिया।
उन्होंने कहा कि यदि किसी परियोजना में कोई कमी पाई जाती है या देरी होती है, तो संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए और कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने राज्यभर में स्टोन स्टड, स्टोन स्टीनिंग, नालों की रिमॉडलिंग, स्थायी पंप हाउस के निर्माण, निचले इलाकों में पाइप लाइन बिछाने और बाढ़ के पानी को नालों में गिराने पर जोर दिया। उन्होंने नदी के तटबंधों को मजबूत करने और भूमि कटाव को रोकने के लिए पत्थर के स्टड बनाने के भी निर्देश दिए।
यमुना नदी की सफाई पर विशेष जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने उपायुक्तों को सख्त निर्देश दिए कि यमुना में सीवरेज का पानी या प्रदूषित नाला न गिरे। उन्होंने पानीपत, सोनीपत, पलवल और यमुनानगर जिलों के उपायुक्तों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित करने का आदेश दिया, ताकि प्रदूषित पानी को यमुना में जाने से रोका जा सके।
मुख्यमंत्री ने सिंचाई जल का समान वितरण सुनिश्चित करने और गर्मियों में पेयजल आपूर्ति का पुख्ता बंदोबस्त करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सभी स्रोतों से उपलब्ध जल का प्रबंधन सही ढंग से किया जाए और सभी बड़ी नहरों की सफाई और पुरानी नहरों की मरम्मत की जाए।
बाढ़ नियंत्रण के लिए 657.99 करोड़ रुपये की 352 योजनाओं को मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री ने अल्पकालिक योजनाओं के साथ-साथ पंपों की खरीद को भी तुरंत शुरू करने और 30 जून से पहले उन्हें पूरा करने का आदेश दिया। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा प्रस्तावित मध्यम एवं दीर्घकालिक योजनाओं को मई में होने वाली बाढ़ पूर्व समीक्षा बैठक के बाद शुरू किया जाएगा।
बैठक में बताया गया कि बाढ़ नियंत्रण के लिए 619 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि 302 योजनाओं पर काम चल रहा है। मुख्यमंत्री ने जिलावार रिपोर्ट भी ली और अधिकारियों को निर्धारित समय सीमा के भीतर परियोजनाओं को पूरा करने का आदेश दिया। उन्होंने किसानों को फसल विविधीकरण के लिए जागरूक करने और धान जैसी पानी की अधिक खपत वाली फसलों की बजाय अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाने की बात कही।
Comments are closed